पाकिस्तान के पेशावर की एक अति सुरक्षा प्राप्त क्षेत्र की मस्जिद में मानवता के विरुद्ध हुए मानव बम विस्फोट में जिस प्रकार से नमाज अदा कर रहे सैकड़ों नमाज़ियों के जान-माल की हानि हुई, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान में जो हो रहा है, या ऐसा पहले भी होता आया है। वह पाकिस्तान के एक ऐसे विशेष वर्ग द्वारा किया जा रहा है जो अपने आपको अशरफ (श्रेष्ठ मुसलमान) भी कहता है, के अशराफवादी नेतृत्व में ही हो रहा है। जो किसी भी धर्म के व्यक्ति को वहां के संविधान में अपनी मर्जी के अनुसार धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता द्वारा प्राप्त सांवैधानिक स्वतंत्रा की नृशंस हत्या से कम नहीं है। उक्त विचार पसमांदा मुसलामनों के हितों के लिये संघर्षरत सामाजिक संगठन आॅल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज़ हनीफ ने उक्त घटना के फलस्वरूप आयोजित दिल्ली में संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस्लाम सभी को शांति का पैगाम देने वाला धर्म है। धार्मिक कट्टरपंथियों की मर्जी के बिना धार्मिक आचरण न करने वालों को उनके ही इबादतगाह में मानव बम से हत्या कर देने से कौन से एवं किसके द्वारा पारित धार्मिक उपदेश का पालन किया जा रहा है। राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष शारिक अदीब ने कहा कि ये हमला अशराफ मुसलमानों द्वारा पल्वित, पोषित धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों द्वारा किया गया है जिनका मुख्य उद्देश्य उनके द्वारा बनाये गये निजी धार्मिक संविधान को जबरदस्ती देश के प्रत्येक वर्ग पर लागू करना ही है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुहम्मद यूनुस ने कहा कि पाकिस्तान हो या दुनिया का कोई भी देश, लोकतांत्रिक देश के सभी नागरिकों को अपनी मर्जी के धर्म को अपनाने एवं उसके अनुसार आचरण करने की धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है। पाकिस्तान के अशराफ (ऊंची जाति के मुसलमान) द्वारा अपनी मर्जी से बनाये हुए धार्मिक संविधान को भय एवं भ्रामकता से देश के प्रत्येक नागरिक पर लागू नहीं कर सकते। यहां स्मरणीय है कि पाकिस्तान सदैव अपने द्वारा पल्लवित पोषित कटट्रवादी संगठनों का इस्तेमाल भारत की सुरक्षा, एकता, अखण्डता एवं संप्रभुता को खंडित करने के लिये करता रहा है। आज वही संगठन पाकिस्तान की कानून व्यवस्था के लिये सबसे बड़े अवरोधक के रूप में उपस्थित होकर चुनौती बने हुए हैं।