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सदियों से अपने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे देश के पसमांदा मुसलमान

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लखनऊ: सदियों से अपने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे देश के पसमांदा मुसलमान यदि नरेन्द्र मोदी की कल्याणकारी नीतियों एवं उनके पारदर्र्शी सुशासन से प्रभावित हैं और उनकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है। वंचित, उपेक्षित, साधनहीन पसमांदा मुसलमान अब जान चुका है कि उसे अभी तक केवल बिरयानी के तेजपत्ते की तरह इस्तेमाल किया गया है। जिसे बिरयानी में केवल स्वाद बढ़ाने के लिये डाला जाता है। खाया नहीं जाता और इस्तेमाल करके फेक दिया जाता है। यह बातें ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता एडवोकेट शमीम अनवर अंसारी ने आज यहां पत्रकारों द्वारा पूछे गये पसमांदा मुसलमानों विषयक सवालों के जवाब में कही। उन्होंने यह भी कहा कि पसमांदा कोई जाति नहीं बल्कि वह पिछड़ा मुस्लिम वर्ग है जिसे अभी तक किसी भी स्तर पर सामाजिक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा जब भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है तो फिर गैर बराबरी क्यों? विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा मुसलमानों में विभाजन की भाजपा की साजिश के जवाब में उन्होंने कहा कि आज हम 21वीं सदी के प्रगतिशील भारत में रह रहे हैं। डिजिटिल तकनीक ने देश के प्रत्येक नागरिकों जागरूक कर दिया है। ऐसे में विभाजन की बात करना हास्यास्पद है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी लड़ाई जातीय नहीं है हम तो प्रत्येक सत्तारूढ़ दल द्वारा वर्षों से अपने मान-सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं। यदि वर्तमान सत्तारूढ़ दल हमारा उचित सम्मान करेगा तो निश्चित रूप से पसमांदा मुसलमान समर्थन करने के लिये बाध्य होगा।