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वैश्विक भूख सूचकांक : भारत को नीचे दिखने का प्रयास

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वैश्विक भूख सूचकांक द्वारा भारत को वेल्ट हंगर हिल्फे (जर्मनी) एवं कन्सर्न वर्डलवाइड ( आयरलैंड) की गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्रायोजित तरीके से पड़ोसी देश म्यम्मार, श्रीलंका, पाकिस्तान एवं नेपाल से नीचे सूचकांक में 107 नंबर की अपमानजनक रैंकिंग का स्थान देना भारत जैसे देश जो अपने पड़ोसी देशों की निरंतर सहायता करता है, के लिए अपमानजनक है।सामाजिक संगठन ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज इसका खंडन करता है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ ने कहा है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जब पड़ोसी देश ही हमारी सहायता पर निर्भर हैं। यह जानबूझकर भारत सरकार की कल्याणकारी नीतियों का अपमान है।संगठन के अध्यक्ष परवेज हनीफ एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद यूनुस ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि देश ने आज़ादी के बाद रोजगार शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव कल्याण के सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। पदाधिकारीद्धय ने कहा कि भारत सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं भारत की प्रगतिशील स्थिति को वैश्विक भूख सूचकांक के माध्यम से नीचा दिखाने की योजनावद्ध साजिश से वैश्विक प्रयास किया जा रहा है। जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत सरकार गांव गरीब के हितों के लिए लगातार जमीनी स्तर पर प्रयासरत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण विगत के वर्षों में कोरोना जैसी महामारी के दिनों में भी भारत की आम जनता को देश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। गौरतलव है कि वामपंथी विचारों से ओतप्रोत कुछ भारतीय एनजीओ जानबूझकर भारत के प्रगतिशील छवि को धूमिल करने का कुप्रयास कर रहे हैं।