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अब हमारे पस्मान्दा (पिछड़ा ) मुस्लमान भी, आईएएस, आईपीएस, डॉ, इंजीनियर, बकील बन रहे

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आजकल 1 बात देखकर दिल को बहुत सुकून मिलता है, के अब हमारे पस्मान्दा (पिछड़ा ) मुस्लमान भी, आईएएस, आईपीएस, डॉ, इंजीनियर, बकील बन रहे है, लेकिन ये सब संबिधान की वजह से है, 1 दौर था नवाबो, मुग़लो के समय में जब किसी अंसारी के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको सिर्फ बुनाई के काम पर ही लगाया जाता था, जब किसी मंसूरी के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको धुनने के काम पर ही लगाया जाता था, किसी महीँगिर के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको मछली पकड़ने के काम पर लगाया जाता था, जब किस राई (कुंजड़ा ) के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको सब्जी बोने खेती करने के काम पर लगाया जाता था, जब किसी लोहार के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको लोहे के काम पर लगाया जाता था, जब किसी तेली के घर कोई बच्चा पैदा होता था, तो उसको तेल बेचने के काम पर लगाया जाता था, क्यू के नवाबो और मुग़लो के समय में अंसारी, मंसूरी, महीगीर, राई इत्यादी जातियों के बच्चों का भविष्य उनके माँ बाप नहीं, बल्कि ये नवाब लोग तय करते थे, और जब देश आज़ाद हुआ, देश में संबिधान लागू हुआ उसके बाद बच्चों का भविष्य माँ बाप तय करने लगे, अगर संबिधान नहीं होता तो, आज हमारे पास अब्दुल कलाम आज़ाद जैसा मिसाईल मेन भी नहीं होता, क्यू कलाम साहब के पूर्वज मछली पकड़ने का काम करते थे, यदि आज नवाबो की हुक़मत होती तो कलाम साहब पढ़ ही नहीं पाते, वो अपने पूर्वजो की तरह आज भी इन नवाबो के time में मछली ही पकड़ रहे होते,, अगर अब किसी के घर में कोई बच्चा पैदा होता है, लड़का /लड़की तो माँ बाप फ़क्र से सर उठाकर तुरंत बोल देते है, मेरा बेटा बकील बनेगा या मेरी बेटी डॉ0!! इसलिए फ़क्र करना है, तो अपने देश के संबिधान/कानून पर कीजिये जिसने आपको खुलकर जीने की आज़ादी दी, गुलामी की बेड़ियों से बाहर निकाला अभिब्यक्ति की आज़ादी दी, अब सवाल उन पिछडे मुसलमानो से है, जो मुग़लो की हुक़मत पर बड़ा फ़क्र करते है, उनकी जानकारी के लिये बता दू, मुग़लो के दरबार में भी आपको और हमको घुशने की इजाजत नहीं थी, मुग़लो के दरबार में जितने भी ओहदे होते थे, वो सब पीड़ी दर पीड़ी कुछ परिवारो के लिये रिजर्व होते थे, और यकीन नहीं है, तो दिल्ली की ज़मा मस्जिद का रिजर्वेशन देख सकते है, जो मुग़ल बुखारी परिवार को बुखारा से इमामत के लिये लाये थे, वो परिवार आज भी इमामत कर रहा है, जबकि आज भारत के पिछड़े मुस्लमान में 1 से बड़ा 1 आलिम है, मुग़लो की हुकुमत चली गई, लेकिन resrvation /परिवारबाद दिल्ली की जामा मस्जिद पर आज भी लागू है,, इसिलए इन राजा महाराजो पर गर्व करना बंद करो पस्मान्दा मुसलमानो 1 रोटी कम खायो अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ,, NOTE :- जातिवाद करें ये राज़ा महाराजा और इनके चमचे जो आज भी बही मुग़लो का दौर चाहते है, जिसमे इनको बा इनके परिवार को पीड़ी दर पीड़ी ओहदे मिलते थे, पेंशन मिलती थी, और आप लोगो की नजर में जातिबाद कफील अंसारी फैला रहा है, कफील अंसारी सिर्फ आपको जगाने का काम कर रहा है, नाकि फिरको जाति में बाटने का काम कर रहा है,🙏