शैशिणिक जागरूकता

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शैशिणिक जागरूकता

  • जिस समाज में सामाजिक संगठन सक्रिय भूमिका निभाते हैं, वह समाज सुसंस्कृत समाज बनाता है। भारतीय मूल की पसमांदा मुस्लिम समाज को 800 साला तथाकथित मुस्लिम काल (अशरफ काल) में शिक्षा के क्षेत्र में अवसर प्राप्त नहीं था। हालाँकि देश को आज़ादी मिलने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में सबको समान अवसर प्राप्त हुए, परन्तु पसमांदा मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता नही थी क्योंकि इनका कोई समाजिक संगठन सक्रिय नही था। ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ भारतीय मूल के पसमांदा मुस्लिम समाज को शिक्षित करने के लिए सरकार एवम सरकारों से मिलकर आभियान चला रहा है और सरकार एवम् सरकारों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा से सबंधित सुविधाओ को उन तक पहुंचने में अपनी भूमिका निभा रहा है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ आने वाले समय में सरकार एवम् सरकारों से मिलकर सभी मदरसे में इस्लामी तालीम के साथ दुनियावी तालीम को भी हासिल करने के लिए जागरुक करेगा I ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ एक सामाजिक संगठन है जो समाज में फैली कुरीतियों व भ्रांतियों को दूर करने एवम समाज के बीच पनपी हर खाई को पाटने का काम करेगा, जिससे समरसता पूर्ण समाज का निर्माण हो सके। सभ्य समाज ही विकसित राष्ट्र का निर्माण करता है।

    गांव से लेकर शहर तक 85% भारतीय मूल के पसमांदा मुस्लिम समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक होकर बच्चों को शिक्षा की तरफ आकर्षित कराना होगा। जिससे अधिक से अधिक बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकें। इसलिए भारतीय मूल के पसमांदा मुस्लिम समाज के हर माता-पिता को अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भेजना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों का बौद्धिक विकास के साथ संस्कार भी आएंगे और वह देश का एक सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनकर देश को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।