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ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज

परिचय

देश में मुस्लिम समाज की संरचना में शामिल विदेशी मूल के शासक वर्ग की वर्तमान में 15 प्रतिशत आबादी वाला मुस्लिम नेतृत्व शेष 85 प्रतिशत पसमांदा देशज मुस्लिम समुदाय में समानता व सामाजिक न्याय करने में पूर्णतः अक्षम रहा हैI यह धर्मान्तरित भारतीय मूल के पसमांदा मुस्लिम के आजीविका के साधन अधिकांशतः हस्तशिल्प, तकनीकी मजदूर, बुनकर, हाथ कारीगर, छोटे किसान व खेत मजदूर हैं जो कि राजनैतिक व बौद्धिक रूप से अति पिछड़े हैं। इस समाज के बीच ऑल इण्डिया मुस्लिम पसमांदा मुस्लिम महाज एक राष्ट्रवादी, सह-अस्तित्व, सर्वधर्मसमभाव वसुधैव कुटुम्बकम, देशभक्ति व विकास की सर्वजनहिताय सर्वजनसुखाय नीतियों को सभी धर्मो को साथ लेकर चरितार्थ करने वाला एक सामाजिक उन्नयन की अपेक्षा करता समर्पित सामाजिक, सांस्कृतिक, सामाजिक अधिकारिता व समतामूलक समाज के लिए संकल्पबद्ध पंजीकृत ट्रस्ट संगठन है। जो अभी प्रमुख रूप से उ0 प्र0 व बिहार के पसमांदा बाहुल्य चिन्हित जनपदो में कार्यरत है, तथा भविष्य में देश के 100 पसमांदा बाहुल्य जनपदों के संसदीय क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और अधिकारिकता पर कार्य करने की एक विस्तृत लक्षित कार्ययोजना वाला अराजनैतिक संगठन है।

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पृष्ठभूमि


भारत सरकार एक्ट 1935 के बाद सामाजिक न्याय मुख्य पसमांदा मुस्लिम जातियों के आरक्षण हेतु सरदार पटेल की अध्यक्षता में बनी अल्पसंख्यक सुरक्षा कमेटी में मेम्बर कमेटी में मौलाना आज़ाद, मौलाना हिफ्जुरहमान, लखनऊ की बेगम एज़ाज रसूल, हुसैनभाई, तजम्मुल हुसैन जो विदेशी मूल के राष्ट्रीय तत्कालीन मुस्लिम नेता थे, जिन्होंने मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ मत दिया जिससे सभी 64 भारतीय जातियों में मुस्लिम समान जातीय विकास प्रभावित हुआ। अंग्रेजी शासन काल 1943 के एक अधिकृत सर्वेक्षण को गृह विभाग के सचिव एस.सी. स्मिथ, राजाज्ञा सं031/14/43 पैरा-4 प्रस्तावमें 11 अगस्त 1943 को चयन के रूप में चिन्हित की गयी, जातियों में मुस्लिम,हिन्दू,सिख,इसाई, बौद्ध आदि सभी थे जो विभिन्न प्रान्तों में ब्रिटिश भारतीय राज्यों से थे तथा जिसे गजेट में प्रकाशित करने हेतु मुख्य कमिश्नर, आईबी, फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन, राजनैतिक विभाग, गवर्नर जनरल सेकेट्री मिलिट्री, सचिव, राज्य विधान सभाओं को सामाजिक शैक्षणिक रूप से अति पिछड़ी दलित जातियों को चिन्हित कर उनके सामाजिक शैक्षणिक हितार्थ, आरक्षण हेतु भेजा गया तथा जिसके प्रावधान में आरक्षण सुविधाएं सत्ता में भागीदारी सामाजिक न्याय, बराबरी सामाजिक समरसता के लिए लागू किए गए I आजादी के बाद1950 के संविधान में बिना धर्म-जाति भेदभाव के धारा-341, 342 व 340 का अनु0 जाति, पिछड़ी जाति व अनु0 जनजाति के लिए धाराओं के प्रावधान के चलते अचानक 10 अगस्त 1950 को तत्कालीन सरकार की राय से राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश द्वारा अनु0 जाति आदेश सं0-385 जारी कर इसमें केवल हिन्दू जातियों को अनु0 जाति की मान्यता धारा-341 में घोषित कर बाकी धर्म पर सामाजिक समरसता पर रोक लगाई गयी। जिसके कारण पसमांदा मुस्लिम आरक्षण, सत्ता में भागीदारी, सामाजिक न्याय गारंटी, सामाजिक सुरक्षा व समानता के अवसरों की प्राप्ति के विरूद्ध साज़िश भारतीय मूल के मुस्लिमों के साथ तथाकथित कुलीन द्वारा रची गयी, जिसके कारण आज लोकसभा, विधानसभा, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा आदि में पसमांदा दलितों की बदतर स्थितिहै जो कि सरकारी सर्वेक्षणों में भी उजागर हैI इस अशराफ वर्ग जो देश के बंटवारे में आगे-आगे था, आज़ादी के बाद भी भारतीय मूल के दलित पिछड़ों को विकास व समानता की मूलधारा से अलग–थलग समाज को पुनः देशभक्ति व राष्ट्रीय विकास से जोड़ना, महाज़ का उद्देश्य है।

वोट बैंक राजनीति से विकास सहभागिता सामाजिक न्याय की ओर

ऑल इण्डिया पसमान्दा मुस्लिम महाज पूर्व में बी पी मण्डल जस्टिस रंगनाथ मिश्र व सच्चर कमेटी में इन मुस्लिमों के पिछड़ेपन की पूर्व केन्द्र सरकार 60 वर्षों के शासन व वोट बैंक के बावजूद इन उपेक्षित भारतीय मुस्लिमों की 85 प्रतिशत जनसंख्या के साथ जो पसमांदा भारतीय मूल के मुस्लिम के साथ भेदभाव संसद द्वारा मुस्लिम दलितों को सत्ता, सुरक्षा व समानता का अधिकार दिये जाने के संशोधन पर कांग्रेस सरकार द्वारा 1956 व 1991 में संसद में साज़िशन कुलीन वर्ग अन्याय अनदेखी पूर्व भाजपा सरकार द्वारा प्रस्ताव चर्चा 18 दिस्बर 2003 को आगे बढ़ाते हुए धारा-341 में संसद में मुस्लिम समान जातियों को शामिल कर देश के इतिहास में पहली बहस को अनुमति, सर्वोच्च न्यायालय में पीआईएल 180/04 आदि में कुछ प्रयास शुरू हुए, धारा-370 तीन तलाक जैसे सामाजिक कानून की तरह अब देश पसमांदा के मुस्लिम को सामाजिक न्याय की पहल की जाने के प्रयास हुए हैं, ऐसे ही प्रयास 341 में भी दरकार है जो संवैधानिक अधिकार है तथा धारा-342 में पिछड़ी जाति के नाम पर जाति विशेष का यूपी बिहार पर जातिगत जनसंख्या के आधार पर मुस्लिम शेष पिछड़ी पसमान्दा जातियों के साथ सामाजिक न्याय हेतु पूर्व में उप्र राज्य में 15 सितम्बर 2001 तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह पिछडे वर्ग आरक्षण संशोधन बिल की समीक्षा कर पसमांदा पिछड़े मुस्लिम को 27 प्रतिशत में जनसंख्या आधार पर उपेक्षितों का आरक्षण हेतु अध्यादेश हेतु शासन का ध्यान आकर्षित कराना भी महाज का प्रमुख कार्य होगा विकास कार्य सहभागिता पसमान्दा मुस्लिम बाहुल्य राज्यों में विगत वर्षों की तरह आउट ऑफ स्कूल शिक्षा कोर्स एक वर्षीय स्कूल, रोजगार परक कौशल विकास कार्यक्रम 16-18 आयु वर्ग बच्चों के लिए मुख्य अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से अभिनव पसमांदा वर्ग योजनाएं महिला कार्यक्रम नई रोशनी के अलावा पसमांदा रोशनी कार्यक्रम चलाए जाएं, वक्फ भूमि सम्पत्ति की आय पसमान्दा मुस्लिम के लिए निःशुल्क भारतीय चिकित्सा यूनानी आयुर्वेद कालेज व फार्मेसी भवन अनुदान शिक्षा पुनरोधन योजना जड़ी-बूटी उत्पादन यूनिट, मदरसों में भारत में मुस्लिम समाज संरचना पाठ्यक्रम, संविधान की परिभाषा बुनकरों दस्तकारों के लिए सूती वस्त्र खादी निर्माण प्रोत्साहन योजनाएं भारतीय पसमांदा मुस्लिम सामाजिक न्याय आयोग का गठन आदि के लिए एक सरकार के साथ रचनात्मक वातावरण निर्माण करना सर्वधर्म समभाव की भावना व गंगा-जमुनी संस्कृति महाज की प्राथमिकताएं हैं जो जातिवाद से पसमांदा वर्ग और वर्ग से पैगम्बर इस्लाम के सारी मानवता के लिए आखिरी खुतबाव भारत जैसे बहु धर्म-आस्था के देश में सुलह हदीबिया का सम्मान सर्वधर्म समभाव के लिए है।